आत्मनिर्भर भारत/आत्मनिर्भर किसान

आज हर कोई आत्मनिर्भर भारत की बात कर रहा है, भारत की 70%जनसंख्या गावों में निवास करती है और वहां की जो जनता है वो कृषि पर निर्भर है.गांव की जनता हमेशा से ही आत्मनिर्भर रही  है चाहे आप बात दूध की करो, सब्जी की करो, या आप फल की बात करो.पहले गावों में एक प्रचलन था की लोग अपनी फसल के बदले में दूसरे से कोई भी उत्पादित फसल का अदल बदल कर लेते थे. जैसे आपके यहां मूंग की दाल है और मेरे यहाँ उड़द की दाल है तो दोनों आपस में बदल लेते थे जिससे मेरे पास मूंग आ जाती थी और आपके पास उड़द. 

गांव में आज भी लोग कुछ वस्तुओं का आदान प्रदान करते है.

सब्जी में आत्मनिर्भर:

वैसे तो किसान के पास जमीन होती है जिसमे वो सब्जी उगा लेता है लेकिन इसमें उसकी सहायता घर के बच्चे और महिलाएं भी कराती है, जब किसान अपने भूसा को बुर्जी में भर देता है तो बारिश का समय होने पर घर की महिलाएं कद्दू ,काशीफल और परमल के बीज बुर्जी और बिटोड़े के आप पास लगा दते है जिससे उन्हें
सर्दियों में घर की सब्जी वो भी बिना किसी रासायनिक खाद या दवा के बिना मिलती रहती है और इसको वो अपने आस पड़ोस में बाटते भी रहते है. जिससे की सभी को सब्जी की आपूर्ति हो जाती है और किसान को इसके लिए पैसे भी खर्च नहीं करने पड़ते है और वो किसी पर इसके लिए निर्भर भी नहीं रहता है. 

दूध में आत्मनिर्भर :

आजकल कोरोना के कठिन समय में एक किसान ही ऐसा है जो न भूखा सोया है और न ही उसने अपने आसपास किसी को भूखे पेट सोने दिया है. किसान के घर कम से कम एक देसी गाय तो मिल जाएगी जो की उसकी और उसके परिवार की दूध और घी की पूर्ती कराती है. इस कठिन समय में सब ने किसान का साथ छोड़ दिया लेकिन उसने कभी भी किसी से कोई शिकायत नहीं की. उसने अपने दूध को अपने घर रखा और उसका घी निकाल के मठ्ठा बिना कोई शुल्क लिए लोगों को पिलाया ( ब्रांडेड 400 ग्राम की थैली 12 रुपये की आती है )

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अनाज में आत्मनिर्भर:

एक जमाना था जब भारत को दूसरे देशों के गेंहूं पर निर्भर रहना होता था और गेंहूं की रोटी तभी बनती थी जब कोई खास रिश्तेदार आया हो. (जिसने ऐसा वक्त देखा हो कमेंट जरूर करें ) और बाहर के देशों की क्वालिटी कितनी घटिया होती थी. लेकिन आज हम अन्य देशों को गेंहूं और दूसरे खाधान्य निर्यात कर रहे हैं और अपने यहाँ भी सरप्लस अनाज रहता है. किसान ने खेती में नई नई टेक्नोलॉजीज प्रयोग में लेके अनाज की उपज कई गुना बढ़ा ली है. आज हम किसान को अन्नदाता बोलते हैं तो ऐसे ही नहीं बोलते इसमें किसान ने करके दिखाया है की उसे जरा सा सपोर्ट मिले तो वो बहुत कुछ कर सकता है. 

आवश्यकता है किसान को आगे बढ़ने की:

आज हमारे देश को अपने भण्डारण क्षमता को बढ़ने की जरूरत है इसके लिए हमें ईमानदारी से किसान को सपोर्ट करना पड़ेगा.आज भी किसान को कोई ऋण नहीं मिल पाता है.उसका कारन कुछ भी हो लेकिन हम को इस तिलिस्म को तोड़ना होगा और वास्तव में किसान को सब्सिडी और ऋण का लाभ वो भी काम ब्याज पर देना होगा. इसके साथ साथ हमें किसान से सम्बंधित उद्योगों को बढ़ाना होगा. सरकार को चाहिए की किसान को सब्सिड़ी और लोन किसान मेला का आयोजन करके देना चाहिए जिससे की ज्यादा से ज्यादा किसानों को इसका फायदा मिल सके...